नकलची पाकिस्तान ने जब देखा कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल अलग-अलग देशों में जाकर आतंकवाद के खिलाफ समर्थन जुटा रहे हैं, तो उसने भी पाकिस्तान पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी के नेतृत्व में अलग-अलग देशों में भेजा. ये उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल न्यूयॉर्क में अपना दुखड़ा रोने और झूठे शांति के ढकोसले दिखाने के बाद अब ब्रिटेन पहुंचा है.
‘हम बात करने को तैयार हैं’
‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की खबर के मुताबिक पाकिस्तान का नौ सदस्यीय समूह ने रविवार को संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों, सदस्य देशों के राजनयिकों और वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों के साथ बात की. प्रतिनिधिमंडल के सदस्य पूर्व विदेश सचिव जलील अब्बास जिलानी ने यहां कहा कि हमारा संदेश स्पष्ट था कि पाकिस्तान शांति चाहता है. जिलानी ने कहा कि इस्लामाबाद सिंधु जल संधि सहित सभी मुद्दों का समाधान बातचीत के जरिए करना चाहता है. उनका ये बयान ऐसे वक्त में आया, जब भारत के पानी रोकने के बाद से पाकिस्तान में जलसंकट पैदा हो गया. दिलचस्प ये भी है कि पाकिस्तानी पीएम अपनी जीत का दावा करते हैं और उनका डेलीगेशन भारत से वार्ता की भीख मांगता फिर रहा है.
24 करोड़ लोगों की ज़िंदगी खतरे में
मीडियाकर्मियों से बात करते हुए, सांसद खुर्रम दस्तगीर ने जल विवाद के क्षेत्रीय प्रभाव पर प्रकाश डाला और 1960 की विश्व बैंक की मध्यस्थता वाली संधि को बहाल करने का आह्वान किया. वहीं भारत का कहना है कि जब तक कि इस्लामाबाद सीमा पार आतंकवाद को अपना समर्थन देना बंद नहीं कर देता, तब तक कोई बात नहीं होगी. उन्होंने ये बात स्वीकार की है कि भारत द्वारा संधि को निलंबित करने से 24 करोड़ लोगों की आजीविका खतरे में पड़ गई है और क्षेत्र की स्थिरता कमज़ोर हो गई है.
आपको बता दें कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत से पड़ी मार की कहानी और अपनी फटी हालत के बारे में घूम-घूमकर बता रहा है. पहलगाम हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी, जिसके जवाब में भारत ने पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ढांचों को निशाना बनाया. इसके बाद इस्लामाबाद ने सैन्य कार्रवाई की, जिससे बाद भारत के मुंहतोड़ जवाब से वो अमेरिका के पास सीज़फायर के लिए पहुंच गया.