लंबे समय से सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत की प्रतिक्रिया नपी-तुली रही है. पश्चिमी देशों के नजरिए से कहें तो, यह प्रतिक्रिया आसानी से नजरअंदाज की जाने वाली रही है. लेकिन इस बार नहीं. इस बार, भारत ने साफ कर दिया है कि आतंक का जवाब दिया जाएगा, उसके स्पॉन्सर्स को बेनकाब किया जाएगा और कहकर बदला लिया जाएगा.
इस ऑपरेशन की जानकारी अमेरिका समेत दुनियाभर के देशों में देने गए भारतीय प्रतिनिधिमंडल की बैठकें महज टिक-बॉक्स डिप्लोमेसी नहीं थी बल्कि वो सॉलिड, हाई लेवल की थी और उनका संदेश साफ था. अमेरिकी सीनेट की विदेश संबंध समिति, सदन की सशस्त्र सेवा समिति, डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन दोनों पार्टियों के वरिष्ठ सीनेटरों और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के साथ बातचीत में भारत की उपस्थिति मजबूत थी और उसका संदेश साफ तौर से तीखा था.
अमेरिका जाना समर्थन मांगना नहीं बल्कि...
भारत का अमेरिका के पास जाना समर्थन मांगना नहीं बल्कि अपनी भू-राजनीतिक स्थिति को पुख्ता करना था. दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, हिंद-प्रशांत स्थिरता में एक रणनीतिक साझेदार और एक जिम्मेदार लोकतंत्र के रूप में, भारत अमेरिका में एक साधारण सच्चाई के साथ गया कि जब वो कोडर, अंतरिक्ष यात्री और नई चीजें निर्यात कर रहा है, पाकिस्तान दशकों से केवल चरमपंथ का निर्यात करता रहा है.