हर तरफ हो रही आकाशतीर की चर्चा
पिछले कुछ सालों में भारत ने स्वदेशी डिफेंस इंडस्ट्री पर बहुत फोकस किया था और रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए कई कदम उठाए। स्वदेशी आकाश मिसाइल सिस्टम, डी-4 एंटी ड्रोन सिस्टम, स्वदेशी लॉइटरिंग एम्युनिशन, कामेकाजी ड्रोन स्काई स्ट्राइकर सहित आकाशतीर की चर्चा हो रही है। साथ ही भारत और रूस के जॉइंट वेंचर ब्रह्मोस का भी इस ऑपरेशन में कॉम्बेट डेब्यू हुआ।
बेटल प्रूवन की सबसे ज्यादा अहमियत
एक अधिकारी ने कहा कि कोई भी हथियार कितना भी घातक और विश्वसनीय क्यों न कहा जाए, पर उसका असली टेस्ट तभी होता है जब उसका असल में इस्तेमाल होता है। ऑपरेशन सिंदूर कई स्वदेशी हथियारों और सिस्टम का भी असल टेस्ट था, जिसमें वे सफल हुए। उन्होंने कहा कि डिफेंस इंडस्ट्री में बेटल प्रूवन (असल लड़ाई में जिसने खुद को साबित किया है) की सबसे ज्यादा अहमियत है। स्वदेशी हथियारों की सटीकता और हमले रोकने की क्षमता ऑपरेशन सिंदूर में दिखाई दी।
आकाशतीर से 6 नोड पूरे ऑपरेशन में रहे एक्टिव
पूरे ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इंडियन आर्मी के 6 आकाशतीर नोड ने पूरे वेस्टर्न बॉर्डर पर 24 घंटे निगरानी की और एयर डिफेंस को कंट्रोल कर मोर्चा संभाले रखा। सूत्रों के मुताबिक आकाशतीर से 6 नोड लद्दाख, कश्मीर, जम्मू सेक्टर, पठानकोट एरिया, आदमपुर एरिया और जैसलमेर-बाड़मेर एरिया में सक्रिय रहे। इंडियन आर्मी के ये आकाशतीर नोड इंडियन एयरफोर्स के इंटिग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम से जुड़े हुए थे।