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बिल्ली से दूध की रखवाली करा रहा है UNSC? पाकिस्तान को मिली इस जिम्मेदारी से भारत की बेचैनी बढ़ना लाजमी

बिल्ली से दूध की रखवाली करा रहा है UNSC? पाकिस्तान को मिली इस जिम्मेदारी से भारत की बेचैनी बढ़ना लाजमी

नई दिल्ली: आतंकियों को पनाह देने वाले देश पाकिस्तान को आतंक विरोधी समितियों में अहम जिम्मेदारी देना, बिल्ली को दूध की रखवाली देने जैसा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में पाकिस्तान को आतंकवाद विरोधी समितियों में महत्वपूर्ण पद मिलने से भारत में कई लोगों को हैरानी हुई

के विपरीत है। यह घटनाक्रम 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुआ है, जिसमें भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिनों तक सैन्य टकराव हुआ था।
भारत ने UNSC के वर्तमान और आगामी सदस्यों सहित विभिन्न देशों की राजधानियों में प्रतिनिधिमंडल भेजे थे ताकि पाकिस्तान से निकलने वाले आतंकवाद के खिलाफ समर्थन जुटाया जा सके। पाकिस्तान को ये पद 29 मई को मिले थे, लेकिन इसकी जानकारी भारतीय प्रतिनिधिमंडलों के दौरे के दौरान सार्वजनिक की गई।

अपना काम निकलवाने में माहिर पाकिस्तान
कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने पिछले महीने न्यूयॉर्क का दौरा किया था और वे फिर से अमेरिकी कांग्रेस, थिंक टैंक और मीडिया के साथ बातचीत के लिए वाशिंगटन डीसी में हैं। इन पैनलों पर नियुक्ति के लिए UNSC के स्थायी और अस्थायी दोनों सदस्यों की सहमति जरूरी है। इस घटनाक्रम से पता चलता है कि पाकिस्तान चीन और UNSC के अन्य सदस्यों की मदद से अपना काम निकालने में सफल रहा है।

पाकिस्तान को क्या जिम्मेदारियां मिली?
भारत हमेशा से पाकिस्तान को आतंकवाद का गढ़ बताता रहा है। पाकिस्तान को तालिबान पर प्रतिबंध लगाने वाली समिति का अध्यक्ष बनाया गया है।साथ ही, उसे आतंकवाद से निपटने वाली एक और महत्वपूर्ण समिति का उपाध्यक्ष भी बनाया गया है। इसके अलावा, पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध व्यवस्था से जुड़े दो और समूहों का सह-अध्यक्ष भी होगा।

टेंशन में क्यों है भारत?
पाकिस्तान को मिली इन जिम्मेदारियों से भारत को डर है कि वह बलूचिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए भारत पर आरोप लगा सकता है। हालांकि, भारत के मित्र देश यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे कि पाकिस्तान ऐसा न कर पाए। भारत को उम्मीद है कि अन्य सदस्य देश पाकिस्तान को गलत काम करने से रोकेंगे।

तालिबान प्रतिबंध समिति: पाकिस्तान UNSC के प्रस्ताव 1988 (2011) के तहत स्थापित समिति का अध्यक्ष होगा। यह समिति तालिबान पर लगाए गए प्रतिबंधों की निगरानी करती है। इसका मतलब है कि पाकिस्तान यह तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा कि तालिबान पर प्रतिबंधों का पालन हो रहा है या नहीं।

आतंकवाद विरोधी समिति (CTC): पाकिस्तान CTC का उपाध्यक्ष भी होगा। यह समिति प्रस्ताव 1373 (2001) के कार्यान्वयन की निगरानी करती है। यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक आतंकवाद विरोधी ढांचे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। पाकिस्तान इस समिति में आतंकवाद से निपटने के लिए नीतियां बनाने में मदद करेगा।

अन्य समूह: पाकिस्तान दो और महत्वपूर्ण समूहों का सह-अध्यक्ष भी होगा। ये समूह UNSC की पारदर्शिता और प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए काम करते हैं।

क्या बोले शशि थरूर?
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत मित्रहीन नहीं है और पाकिस्तान को सुरक्षा परिषद की तालिबान प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष बनाया जाना और आतंकवाद विरोधी समिति का उपाध्यक्ष बनाए जाने का कोई व्यावहारिक परिणाम नहीं निकलने वाला है। थरूर भारत द्वारा सामना किए जा रहे पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खतरे और आतंकवाद के खिलाफ भारत के मजबूत संकल्प के बारे में प्रमुख वार्ताकारों को जानकारी देने के लिए अमेरिका में एक बहुदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। पाकिस्तान, 2025-26 के कार्यकाल के लिए सुरक्षा परिषद का एक अस्थायी सदस्य है और वह 2025 के लिए परिषद की तालिबान प्रतिबंध समिति की अध्यक्षता करेगा और 15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की आतंकवाद विरोधी समिति का उपाध्यक्ष होगा।