मगर इस कदम ने चीन में कानून और प्राइवेसी पर बहस छेड़ दी है. जानकार कह रहे हैं कि चीन में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ यौर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी कोई मिसाल नहीं है. आइए जानते हैं कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की आखिर प्लानिंग क्या है?
खून के नमूने लेने के पीछे तर्क क्या है-
जानकारी के मुताबिक खून के नमूने सीधे पासपोर्ट, राष्ट्रीय पहचान पत्र और अन्य दस्तावेजों से जुड़े होंगे. अधिकारियों के अनुसार, यह प्रणाली गुमशुदा लोगों को ढूंढने और पहचान सत्यापित करने में भी मदद करेगी. चीन के पर्सनल इन्फॉर्मेशन प्रोटेक्शन लॉ के तहत डीएनए जैसे संवेदनशील जानकारी इकट्टा करने के लिए लिखित अनुमति और साफ जरूरत होनी चाहिए. लेकिन जिलिनहोत नोटिस में यह नहीं बताया गया कि डेटा कब तक रखा जाएगा या लोगों के अधिकार क्या होंगे.
इससे जुड़ी चिंताएं क्या है?
इस कार्यक्रम का केवल पुरुषों पर ध्यान देना संकेत करता है कि पुलिस Y-STR टेस्टिंग कर सकती है, जो पिता की लाइन और पूरे परिवार को जांच में शामिल कर सकती है. यह केवल अपराधी जांच तक सीमित नहीं है, बल्कि परिवार और अगली पीढ़ियों तक निगरानी फैलाता है. विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि बड़े पैमाने पर पुरुषों के DNA डेटा से सैन्य और जैविक हथियारों के लिए जोखिम बढ़ सकता है। Y-chromosome डेटा स्थिर होता है और इसे लक्षित जैविक हथियार बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है.
पहले भी हो चुका है विवाद-
DNA संग्रहण का यह कदम चीन के तकनीक और बायोटेक उद्योग को जोड़ता है. अब जब जीनोम सिक्वेनसिंग सस्ता और तेज हो गया है, लोकल सरकारों के लिए बड़े पैमाने पर DNA डेटाबेस बनाना आसान हो गया है. इससे चीन की फोरेंसिक जेनेटिक्स और बायोइन्फॉर्मेटिक्स कंपनियों में निवेश बढ़ सकता है.2006 में Foxconn ने कर्मचारियों से रक्त के नमूने लिए थे, जिससे विवाद हुआ था. जिलिनहोत की योजना मल्टीनेशनल कंपनियों के चेतावनी है कि चीन में बायोलॉजिकल डेटा संग्रहण बढ़ सकता है.