• Wed, Sep 2025

चीन में दुनिया की सबसे बड़ी बांध परियोजना भारत के लिए 'वाटर बम' है, अरुणाचल CM ने चेताया

चीन में दुनिया की सबसे बड़ी बांध परियोजना भारत के लिए 'वाटर बम' है, अरुणाचल CM ने चेताया

अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा है कि राज्य की सीमा के निकट चीन द्वारा बनाया जा रहा विशाल बांध एक 'वाटर बम' होगा और यह सैन्य खतरे के अलावा, किसी भी अन्य समस्या से कहीं ज्यादा बड़ा मुद्दा है। खांडू ने 'पीटीआई वीडियो' को दिए साक्षात्कार में कहा कि यारलुंग सांगपो नदी पर दुनिया की सबसे बड़ी बांध परियोजना गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि चीन ने अंतरराष्ट्रीय जल संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए

 जो उसे अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का पालन करने के लिए मजबूर कर सकती थी। ब्रह्मपुत्र नदी को तिब्बत में यारलुंग सांगपो नाम से जाना जाता है।

खांडू ने कहा, ''मुद्दा यह है कि चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। कोई नहीं जानता कि वे कब क्या करेंगे।'' उन्होंने कहा, ''चीन से सैन्य खतरे के अलावा, मुझे लगता है कि यह किसी भी अन्य समस्या से कहीं ज्यादा बड़ा मुद्दा है। यह हमारी जनजातियों और हमारी आजीविका के लिए अस्तित्व का खतरा पैदा करने वाला है। यह काफी गंभीर मुद्दा है क्योंकि चीन इसका इस्तेमाल एक तरह के 'वॉटर बम' के रूप में भी कर सकता है।'' यारलुंग सांगपो बांध के नाम से जानी जाने वाली इस बांध परियोजना की घोषणा चीन के तत्कालीन प्रधानमंत्री ली केकियांग द्वारा 2021 में सीमा क्षेत्र का दौरा करने के बाद की गई थी।

Expand article logo  पढ़ना जारी रखें

 होम पेज पर वापस जाएँ
खबरों के अनुसार, चीन ने 137 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत वाली इस पंचवर्षीय परियोजना के निर्माण को 2024 में मंजूरी दी। इससे 60,000 मेगावाट बिजली उत्पादन होने का अनुमान है, जिससे यह दुनिया का सबसे बड़ा जलविद्युत बांध बन जाएगा। खांडू ने कहा कि अगर चीन ने अंतरराष्ट्रीय जल संधि पर हस्ताक्षर किए होते, तो कोई समस्या नहीं होती क्योंकि जलीय जीवन के लिए बेसिन के निचले हिस्से में एक निश्चित मात्रा में पानी छोड़ना अनिवार्य होता। उन्होंने कहा कि असल में, अगर चीन अंतरराष्ट्रीय जल-बंटवारे समझौतों पर हस्ताक्षर करता, तो यह परियोजना भारत के लिए वरदान साबित हो सकती थी।

इससे अरुणाचल प्रदेश, असम और बांग्लादेश में, जहां ब्रह्मपुत्र नदी बहती है, मानसून के दौरान आने वाली बाढ़ को रोका जा सकता था। खांडू ने कहा, ''लेकिन चीन ने इस समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, और यही समस्या है... मान लीजिए कि बांध बन गया और उन्होंने अचानक पानी छोड़ दिया, तो हमारा पूरा सियांग क्षेत्र नष्ट हो जाएगा। खास तौर पर, आदि जनजाति और उनके जैसे अन्य समूहों को... अपनी सारी संपत्ति, जमीन और विशेष रूप से मानव जीवन को विनाशकारी प्रभावों का सामना करते देखना पड़ेगा''