• Wed, Sep 2025

एक इंजीनियर कैसे बन गया 'बाबा', IIT BHU से की पढ़ाई, अमेरिका में नौकरी

एक इंजीनियर कैसे बन गया 'बाबा', IIT BHU से की पढ़ाई, अमेरिका में नौकरी

IITan Baba, Mahakumbh 2025: IIT में पढ़ना किसी सपने के सच होने जैसा होता है, लेकिन अक्सर कुछ लोग IIT से पढ़ने के बाद अच्छे पैकेज पर नौकरी पाते हैं, फिर अचानक से सबकुछ छोड़कर ऐसी राह पकड़ लेते हैं कि दुनिया चौंक जाती है. महाकुंभ के गलियारों में कई ऐसे बाबा हैं, जो या तो किसी अच्छे कॉलेज के स्टूडेंट रहे हैं या फिर अच्छी नौकरियों में रहे हैं. हम आपको ऐसे ही एक बाबा की कहानी बताने जा रहे हैं…

IITian बाबा अभय सिंह की पूरी कहानी सामने आने के बाद इन दिनों एक और बाबा की कहानी वायरल हो रही है. इस बाबा का नाम है आचार्य जयशंकर. महाकुंभ में आए आचार्य जयशंकर नारायणन मूल रूप से चेन्नई के रहने वाले हैं. आचार्य जयशंकर ने आईएनएस को दिए इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने 1992 में IIT BHU से बीटेक का कोर्स किया. उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और नौकरी करने लगे.
IIT Baba Acharya Jaishankar: कहां लगी थी पहली नौकरी?

आचार्य जयशंकर नारायणन बताते हैं कि वर्ष 1992 में उन्‍होंने IIT BHU से चार साल बीटेक किया. यहां से पासआउट होने के बाद उनकी पहली नौकरी टाटा स्टील जमशेदपुर में लगी. वह यहां पर केमिकल इंजीनियर के रूप में कार्यरत थे. डेढ़ साल नौकरी करने के बाद अमेरिका चले गए. जहां उन्होंने कई साल तक नौकरी की. उनका झुकाव अध्यात्म की तरफ होने लगा. वह स्वामी दयानंद की शिक्षा की तरफ आकर्षित हुए और उन्होंने नौकरी छोड़कर अध्यात्म का रास्ता चुन लिया. जयशंकर वापस भारत लौट आए. फिर 1999 में नौकरी छोड़कर स्वामी दयानंद सरस्वती के वेदांत की शिक्षा ली. वह आर्य विद्या संप्रदाय से जुड़कर लोगों को वेदांत की शिक्षा देने लगे. वह स्वामी दयानंद सरस्वती को अपना गुरु मानते हैं.

IIT Baba Acharya Jaishankar Story: क्या इंजीनियरिंग छोड़ दी?

जब मीडिया इंटरव्यू में आचार्य जयशंकर नारायणन से यह पूछा गया कि IIT से पढ़कर इंजीनियर बनने के बाद आप सबकुछ छोड़कर अध्यात्म की राह पर चल पड़े तो ऐसे में IIT में पढ़ने जाने वालों के लिए आप क्या संदेश देंगे? इस पर उनका जवाब था कि भगवत गीता में भगवान कृष्ण ने सदकर्म करने को कहा है. उन्होंने कहा, ‘सदकर्म ही सच्ची पूजा है। इसलिए हर इंसान को अपना सदकर्म करना चाहिए.’ जयशंकर कहते हैं, ‘मैं अभी भी इंजीनियर हूं. मेरे क्लाइंट यूएसए में हैं। मैं एक कंपनी चलाता हूं.’ वह आगे कहते हैं, ‘इंसान ने जिस फैमिली में जन्म लिया है, उसे वह सारे कर्तव्य पूरे करने चाहिए. यह उसकी ड्यूटी है, जिम्मेदारी है, जिसे छोड़कर भागना नहीं चाहिए.’आचार्य जयशंकर शास्त्रों का हवाला देते हुए कहते हैं कि हमारे शास्त्रों ने योग की शिक्षा दी है. वह बताते हैं कि पिछले दिनों उन्‍होंने आईआईटी बीएचयू एलुमनाई मीट किया जिसमें 1992 के सभी बैचमेट जुटे और पुरानी यादों को साझा किया.