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हिंदू धर्म में गोत्र की है बहुत मान्यता, क्या आप जानती हैं ये है क्या और शुरू कहां से हुआ?

हिंदू धर्म में गोत्र की है बहुत मान्यता, क्या आप जानती हैं ये है क्या और शुरू कहां से हुआ?

हिंदू धर्म की बात करें, तो ऐसे कई रीति-रिवाज हैं जिन्हें अब हम आउटडेटेड मानने लगे हैं। ऐसा लगता है कि इनकी जरूरत अब नहीं बची है। फिर भी हिंदू धर्म में ऐसे कई रिवाज हैं जिनसे पुराने जमाने के ऋषि मुनियों की दूरदृष्टि को देखा जा सकता था। ऐसा ही कुछ है गोत्र का लॉजिक भी। इसे हिंदू धर्म के सबसे पुराने लॉजिक में से एक माना जाता है। कई लोग गोत्र को कोई रिवाज समझते हैं जबकि ऐसा नहीं है। गोत्र सही मायने मे

पर कभी आपने सोचा कि आखिर गोत्र आया कहां से, इसे कब से शुरू किया गया और कैसे ये साइंटिफिक माना जाता है? चलिए बताते हैं।

गोत्र शब्द कहां से आया?
यह एक संस्कृत शब्द है और जब भी हम संस्कृत भाषा में ऐसे ही शब्द खोजते हैं तब वंश, कुल, जाति आदि सब मिलता है। पर ये सब कुछ परिवारों तक सीमित रहता है, जबकि गोत्र पूरे भारत में फैला हुआ है। एक गोत्र के लोग उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम कहीं भी हो सकती हैं और जरूरी नहीं कि वो एक ही वर्ण के हों।

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