अब ऋण लेकर हवाई अड्डे के विस्तार की आगामी योजना पर कार्य किया जाएगा। सामरिक दृष्टि के साथ पर्यटकों की सुविधा के लिए हवाई अड्डे का विस्तार प्रस्तावित है। प्रदेश सरकार चाहती है कि गगल हवाई अड्डे पर 80 सीटर या इससे अधिक 100 सीटर हवाई जहाज के उतरने व उड़ने की सुविधा विकसित हो सके।
धर्मशाला के मैक्लोडगंज स्थित निर्वासित तिब्बती सरकार के कारण गगल हवाई अड्डे का विस्तारीकरण होना चाहिए। सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के बजट में गगल स्थित हवाई अड्डे के विस्तारीकरण के लिए भू-अधिग्रहण का कार्य निर्धारित समय अवधि में पूरा करने का लक्ष्य रखा था। नियमानुसार भू-अधिग्रहण का खर्च सरकार को वहन करना है।
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सरकार ने इस वित्त वर्ष में इसके निर्माण में तीन हजार करोड़ रुपये व्यय करने का प्रस्ताव किया है। जिसके तहत एक हजार करोड़ भू-अधिग्रहण के लिए खर्च किए जाने थे, लेकिन अपरिहार्य कारणों से संभव नहीं हो पाया।
सचिवालय में तैयार हो रहा है ऋण लेने का प्रारूप
गगल हवाई अड्डे का निर्माण पूरा करने के लिए प्रधान सचिव देवेश कुमार के निर्देशानुसार अधिकारियों की टीम हुडको से ऋण लेने का प्रारूप तैयार करने में लगे हैं। अभी ये प्रारूप प्रारंभिक स्तर पर है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कांगड़ा हवाई अड्डे को पर्यटन राजधानी के स्तर के अनुरूप बनाने के निर्देश दिए हैं। जिसे देखते हुए 2023 से कदम उठाए जा रहे हैं।
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हवाई पट्टियों की लंबाई बढ़ाने की मांग
मुख्यमंत्री सुक्खू प्रधानमंत्री मोदी से लेकर केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय से प्रदेश की तीनों हवाई पट्टियों की लंबाई बढ़ाने की मांग कर चुके हैं। ताकि 80 सीटर विमान उतर सकें और पर्यटकों की आमद बढ़े। शिमला व भुंतर हवाई अड्डों पर 40 सीटर विमान ही उतरने की सुविधा है। प्रदेश के सबसे बड़े गगल हवाई अड्डे पर भी इसी तरह की व्यवस्था है।
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