• Wed, Sep 2025

जल्द भारतीय जवानों के हाथों में होगी AK203 राइफल, जानिए खासियतें और कैसे रखा जाता है नाम

जल्द भारतीय जवानों के हाथों में होगी AK203 राइफल, जानिए खासियतें और कैसे रखा जाता है नाम

AK203: अब हम आपको उस राइफल की शक्ति बताने जा रहे हैं, जो जल्द ही भारतीय सेना के शूरवीरों के हाथों में होगी. ये कौन सी राइफल है और सेना को इसकी डिलीवरी क्यों महत्वपूर्ण मानी जा रही है, ये आपको आज ध्यान से देखना और समझना चाहिए. अगले 2 से 3 हफ्तों के दौरान भारतीय सेना को 7 हजार AK-203 राइफल दी जाएंगी. भारत में AK-203 बनाने वाली कंपनी INDO-RUSSIAN RIFLES PRIVATE LIMITED का ये भी दावा है

Ak203 की क्या खासियतें हैं?
माना जा रहा है कि भारतीय सेना को राइफलों की डिलीवरी पूरी होने के बाद. भारत की AK-203 राइफल दूसरे देशों को भी बेची जाएगी. AK-203 राइफल की कुछ ऐसी खासियतें हैं जो इसे दूसरी ऑटोमैटिक राइफल्स से कहीं ज्यादा अचूक और घातक बनाती हैं. आपको भी AK-203 की ये खासियतें गौर से पढ़ना चाहिए. इस राइफल से एक मिनट के अंदर 700 गोलियां दागी जा सकती हैं. दूसरी बड़ी खासियत है AK-203 की रेंज जो तकरीबन 800 मीटर है. AK-203 एक ऐसी राइफल है जिसमें कारतूस भरने के लिए अलग-अलग किस्म की मैगजीन लोड की जा सकती हैं और इसका कुल वजन है सिर्फ 3 किलो 800 ग्राम, यानी एक जवान को AK-203 को कंधे पर टांगने, लोड करने या फायर करने में रत्ती भर दिक्कत नहीं होती.

कैसे रखा जाता है गन का नाम?
AK सीरीज की सभी राइफल्स की एक और बड़ी खासियत होती है कि इनके ऊपर मौसम या हालात का फर्क नहीं पड़ता. अगर कोई राइफल पानी में गिर गई है, तब भी उसे फौरन निकालकर गोलियां चलाई जा सकती हैं. आपने कई बार फिल्मों में या खबरों में AK-47, AK-56, AK-76 जैसे नाम सुने होंगे. अब हम आपको बताते हैं कि AK सीरीज की इन राइफलों के साथ जुड़े ये नंबर किस आधार पर तय किए गए हैं. ये जानकारी बड़ी दिलचस्प है. इसलिए आपको भी ये कहानियां ध्यान से सुननी चाहिए.

AK47 का नाम कैसे पड़ा?
पहली AK-47 को वर्ष 1947 में तैयार किया गया था. इसी वजह से उसे AK-47 कहा गया. चीन ने चोरी-छिपे इस राइफल का डिजाइन चुराया और वर्ष 1956 में अपना मॉडल बनाया. जिसकी वजह से दुनिया मेड इन चाइना राइफल को AK-56 कहती है. AK-100 से जुड़ी कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. दरअसल तत्कालीन सोवियत संघ में कारखानों की पहचान नंबर से की जाती थी. AK-100 का निर्माण जिस कारखाने में हुआ उसका नंबर था 100. इसी वजह से ये राइफल  AK-100 बनी.  भारत में जो AK-203 बनाई जा रही है ये AK सीरीज का 203वां डिजाइन है, इसी वजह से भारतीय राइफल को AK-203 नाम दिया गया है.