रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तर कोरिया ने रूस को 60 mm और 140 mm के तोपखाने (मोर्टार) दिए हैं. ये वही हथियार हैं जो आमतौर पर केवल DPRK की सैन्य परेड या संग्रहालयों में दिखते थे. अब ये हथियार रूस के सैनिकों के साथ यूक्रेन सीमा पर मौजूद कुर्स्क इलाके में दिखे हैं.
किम के हथियार अब फ्रंटलाइन पर
रूसी मिलिट्री ब्लॉगर्स ने कुछ तस्वीरें शेयर की हैं जिनमें रूसी पैराट्रूपर्स (76वीं एयर असॉल्ट डिवीजन) उत्तर कोरियाई हथियारों के साथ नजर आ रहे हैं. ऐसा माना जा रहा है कि DPRK (उत्तर कोरिया) के सैनिक भी वहां रूसियों के साथ ऑपरेशन में शामिल हैं.
सैन्य विश्लेषक जॉस्ट ओलिएमान्स के अनुसार, यह पहली बार है जब इन हथियारों का इस्तेमाल युद्ध में होते देखा गया है. उन्होंने बताया कि 60 mm मोर्टार शायद नाटो हथियारों की नकल हैं, लेकिन इनकी प्रभावशीलता को लेकर अभी भी संदेह है. 140 mm मोर्टार को 1981 में विकसित किया गया था और पहली बार 1992 की सैन्य परेड में देखा गया.
रूस की मुश्किलें बढ़ीं
इन हथियारों के इस्तेमाल से रूस को एक नई समस्या का सामना करना पड़ रहा है. उत्तर कोरियाई हथियार अलग कैलिबर (गोलियों के साइज) के हैं, जो रूसी हथियारों के सिस्टम से मेल नहीं खाते. इससे सप्लाई चेन और हथियारों की मरम्मत में दिक्कत आ सकती है.
हाल ही में खबर आई कि रूस ने अपनी एक नई आर्टिलरी ब्रिगेड को उत्तर कोरिया से मिले Koksan नामक स्वचालित तोपों से लैस किया है. ये भी पुरानी तकनीक के हथियार हैं जो पहले सिर्फ उत्तर कोरिया के पास ही माने जाते थे.
रूस के दोस्तों पर नजर
उत्तर कोरिया और रूस के बीच बढ़ती सैन्य साझेदारी पर दुनिया की नजर बनी हुई है. यूक्रेन युद्ध में रूस का इन पुराने हथियारों पर निर्भर होना यह दिखाता है कि वह अपने पारंपरिक हथियार संसाधनों में कमी का सामना कर रहा है. वहीं, DPRK इस मौके को रूस के साथ अपनी दोस्ती मजबूत करने के लिए इस्तेमाल कर रहा है.