मॉक ड्रिल की प्रक्रिया शनिवार शाम पांच बजे से रात नौ बजे तक चली। इसके तहत हवाई, मिसाइल और ड्रोन हमलों से बचने का अभ्यास किया गया। साथ ही सुरक्षा और आपातकालीन व्यवस्थाओं को भी जांचा गया। रात के 8 बजते ही हवाई हमले का सायरन बजाया गया और ब्लैक आउट किया गया। मॉक ड्रिल में दुश्मन के विमानों, ड्रोन और मिसाइल हमलों से बचने के तरीके बताए गए।
आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणालियों का भी परीक्षण किया गया। महत्वपूर्ण ठिकानों, इमारतों और प्रतिष्ठानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का अभ्यास किया गया। लोगों को खतरे वाली जगहों से सुरक्षित स्थानों पर भेजने की तैयारी तथा विमानों व मिसाइलों के हमले पर वायुसेना और नागरिक सुरक्षा नियंत्रण कक्ष के बीच हॉटलाइन स्थापित करने की तैयारी परखी गई। साथ ही घायलों को अस्पताल ले जाने का भी अभ्यास किया गया। ड्रिल में नागरिक सुरक्षा वॉर्डन, स्थानीय प्रशासन के कर्मचारी, एनसीसी, एनएसएस, भारत स्काउट और गाइड ने हिस्सा लिया। ड्रिल में सशस्त्र बलों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए।
आपात हालात से निपटने का अभ्यास
ऑपरेशन शील्ड के दौरान नागरिक सुरक्षा के संबंध में स्थानीय प्रशासन की तत्परता सुनिश्चित करने, एनसीसी, एनएसएस, भारत स्काउट एवं गाइड जैसे स्वयंसेवकों की सेवाएं लेने, दुश्मन के विमानों व मिसाइल हमलों के संबंध में वायुसेना व नागरिक सुरक्षा नियंत्रण कक्ष के बीच हॉटलाइन स्थापित करने, हवाई हमले के सायरन को सक्रिय करने, ब्लैकआउट सुनिश्चित करने, जनता व संपत्ति की सुरक्षा जैसी विभिन्न कार्रवाई की गई। इससे पहले पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर सात मई को 244 जिलों में मॉक ड्रिल हुई थी।
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