पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में 'अबकी बार, 400 पार' का नारा देकर मैदान में उतरी बीजेपी 240 सीटें जीत सकी थी. एनडीए की सीटों का आंकड़ा 293 तक पहुंची. सियासी गलियारों में तमाम दावे किए जा रहे थे, लेकिन मोदी सरकार 3.0 के पहले एक साल में फैसलों पर नंबरगेम का दबाव नहीं नजर आया है. कई निर्णायक और बड़े फैसले लिए. सबके बीच बात मोदी सरकार 3.0 के बड़े और निर्णायक फैसलों को लेकर भी हो रही है. मोदी सरकार 3.0 के पहले साल का दूसरा हाफ निर्णायक फैसलों का समय रहा है. आइए, बात करते हैं मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के सात बड़े और निर्णायक फैसलों की.
एक देश, एक चुनाव
मोदी सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल की पहली छमाही में ही एक देश, एक चुनाव से संबंधित बिल लोकसभा में पेश कर दिया. संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान मोदी सरकार ने 18 दिसंबर 2024 को विपक्ष के भारी विरोध और हंगामे के बीच एक देश, एक चुनाव से संबंधित बिल और संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश कर दिया था. भारी हंगामे के बीच लोकसभा में पेश हुए ये बिल जेपीसी को भेज दिए गए.
इनकम टैक्स कट
मोदी सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल के पहले पूर्ण बजट में ही नौकरीपेशा वर्ग को बड़ी राहत देते हुए इनकम टैक्स छूट की सीमा बढ़ाकर मिडिल क्लास की इकोनॉमी का डायरेक्शन सेट कर दिया था. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में यह ऐलान किया कि 12 लाख रुपये तक की कुल आय पर कोई आयकर नहीं देना होगा. वेतनभोगी वर्ग को 75 हजार का अतिरिक्त कर लाभ भी दिया जाएगा. वित्त मंत्री ने बजट में इसका ऐलान करते हुए कहा था कि इस फैसले से अब एक करोड़ और लोग कोई टैक्स नहीं देंगे.
वक्फ बिल
सरकार ने कुछ ही महीने पहले बजट सत्र के दौरान ही वक्फ संशोधन बिल संसद के दोनों सदनों से पारित कराया था. इस बिल में वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने के साथ ही वक्फ बाई यूजर का प्रावधान समाप्त कर दिया गया है. किसी भी संपत्ति को वही वक्फ कर पाएगा, जो कम से कम पांच साल से प्रैक्टिशिंग मुस्लिम हो. वक्फ घोषित की गई किसी संपत्ति को लेकर किसी भी तरह के विवाद की स्थिति में अब तीन स्तर का अपील सिस्टम भी होगा.
सिंधु का पानी
जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने मासूम पर्यटकों पर हमला कर दिया था. पहलगाम आतंकी हमले में 26 सैलानियों की जान गई थी. इस हमले के अगले ही दिन भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में हुई उच्च स्तरीय बैठक के बाद पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता स्थगित करने का ऐलान कर दिया.
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सरकार ने इस फैसले की जानकारी पाकिस्तान को भी दे दी थी. दोनों देशों के बीच यह समझौता 1960 में हुआ था. भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के तानाशाह अयूब खान ने एक दशक तक चली बातचीत के बाद इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. इस संधि के तहत सिंधु नदी तंत्र की छह नदियों- व्यास, रावी, सतलुज, सिंधु, चेनाब और झेलम के पानी का बंटवारा होता था.
जाति जनगणना
मोदी सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का ऐलान कर दिया है. मोदी सरकार की राजनीतिक मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक में यह फैसला लिया गया कि जनगणना के साथ जातियों की गिनती की जाएगी. इसे जनगणना 2027 नाम दिया गया है.
ऑपरेशन सिंदूर
पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना ने छह और सात मई की देर रात ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया था. इस ऑपरेशन के तहत सैन्यबलों ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के साथ ही वहां के पंजाब प्रांत में स्थित आतंकियों के नौ ठिकानों को मिसाइल स्ट्राइक कर तबाह कर दिया था. करीब 22 मिनट तक चले इस ऑपरेशन के बाद अगली रात पाकिस्तान ने भारत के कई शहरों पर ड्रोन और मिसाइल अटैक करने की कोशिश की, जिसे सुरक्षाबलों ने विफल कर दिया.
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अगले दिन भारत ने पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर मिसाइलें दागीं. चार दिन तक दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात रहे और बाद में डीजीएमओ स्तर की बातचीत के बाद युद्ध विराम का ऐलान हुआ. पाकिस्तान के साथ सीज फायर भले हो गया, लेकिन मोदी सरकार ने डिप्लोमेसी का नया डायरेक्शन सेट कर दिया. सरकार ने साफ कर दिया है कि अब भारत में होने वाला कोई भी आतंकी हमला एक्ट ऑफ वॉर माना जाएगा. भारत सरकार ने दुनिया के सामने पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए ऑल पार्टी डेलिगेशन भी विदेशों में भेजे.
चिनाब ब्रिज
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छह जून को दुनिया के सबसे ऊंचे रेल ब्रिज का लोकार्पण किया. कश्मीर को रेल मार्ग के जरिये बाकी देश से जोड़ने वाले इस पुल की लागत 1500 करोड़ रुपये आई है. यह रेल ब्रिज एफिल टावर से भी ऊंचा है. इस ब्रिज के लोकार्पण के साथ ही कटरा से श्रीनगर तक वंदे भारत ट्रेन का परिचालन भी शुरू हो गया है. इससे, हर मौसम में कश्मीर की देश के अन्य हिस्सों से कनेक्टिविटी सुनिश्चित होगी. कश्मीर को रेल मार्ग के जरिये देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने की योजना अंग्रेजों ने भी बनाई थी, लेकिन वह सफल नहीं हो सके थे. 1983 की यह रेल परियोजना अब मूर्त रूप ले चुकी है और मोदी सरकार 3.0 के पहले साल की बड़ी उपलब्धियों में से एक है.
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