पंचामृत अभिषेक क्या है?
पंचामृत, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, पांच पवित्र तत्वों से मिलकर बना होता है, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर. यह भगवान शिव के प्रिय प्रसादों में से एक है. जब इसे श्रद्धा और विधिपूर्वक शिवलिंग पर अर्पित किया जाता है, तो माना जाता है कि इससे जीवन की कई बाधाएं दूर होती हैं और विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है.
पंचामृत का सामान कैसा रहेगा
पंचामृत का अर्थ है पांच अमृत-सदृश पदार्थों का संयोजन, इसमें निम्नलिखित शामिल होते हैं:
दूध – शुद्ध और गाय का हो तो श्रेष्ठ
दही – ताजा और बिना खट्टा
घी – गाय के दूध से बना हुआ
शहद – शुद्ध और बिना मिलावट
शक्कर या मिश्री – साबूत मिश्री हो तो उत्तम
कब करें पंचामृत अभिषेक?
सावन का प्रत्येक सोमवार, प्रदोष व्रत, नाग पंचमी और शिवरात्रि तिथि पंचामृत अभिषेक के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है. अगर सुबह ब्रह्ममुहूर्त और प्रदोश काल में यह पूजा की जाए तो इसका फल कई गुना अधिक मिलता है.
सावन में शिवलिंग का पंचामृत अभिषेक कैसे करें?
अभिषेक से पहले पूजा स्थल और स्वयं को शुद्ध कर लें. इसके बाद गाय का दूध, ताजा दही, देसी घी, शुद्ध शहद और मिश्री को बराबर मात्रा में मिलाएं. इसके बाद पहले शुद्ध जल से शिवलिंग को धोएं, फिर पंचामृत अर्पित करते हुए ॐ नमः शिवाय मंत्र का जप करें. फिर जल से स्नान कराएं ताकि पंचामृत शुद्धता के साथ समाप्त हो और शिवलिंग स्वच्छ दिखे और बिल्वपत्र, धतूरा, आक, पुष्प आदि पूजा से संबंधित चीजें अर्पित करें.
पंचामृत अभिषेक के फायदे
पंचामृत में उपस्थित सभी तत्त्व पंचमहाभूतों और नौ ग्रहों से संबंधित हैं. इससे ग्रहदोष जैसे राहु-केतु या शनि के प्रकोप से राहत मिलती है. यह क्रिया मन की नकारात्मकता को हटाकर सकारात्मक ऊर्जा देती है. शिवपुराण अनुसार पंचामृत अभिषेक से पूर्व जन्म के पापों का शमन होता है और आत्मा शुद्ध होती है. धार्मिक मान्यता है कि नियमित अभिषेक करने से कर्ज से छुटकारा मिलता है. आयुर्वेद के अनुसार पंचामृत शरीर के लिए ओजसवर्धक है. शिवलिंग पर इसका अभिषेक करने से आरोग्य और बल की प्राप्ति होती है. न जातकों को संतान-सुख या दांपत्य जीवन में समस्याएं हैं, वे सावन के प्रत्येक सोमवार को पंचामृत अभिषेक करें तो शुभ फल प्राप्त होते हैं.