पाकिस्तान ने ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए इसलिए नामित किया है, क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के दौरान 'निर्णायक कूटनीतिक दखल'दिया। हालांकि, भारत पहले ही कई बार स्पष्ट कर चुका है कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के समय जो संघर्षविराम हुआ, वह दोनों देशों के बीच सीधे संवाद से हुआ था- न कि किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से।
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पत्रकार और लेखक जाहिद हुसैन ने कहा कि यह निराशानजक है कि सरकार ने ऐसे व्यक्ति के लिए नोबेल पुरस्कार की सिफारिश की है, जिसने गाजा में नरसंहार करने वाले युद्ध का समर्थन किया था और ईरान पर आक्रमण करने की योजना बना रहा है। हुसैन ने एक्स पर कहा, ट्रंप ने ईरान पर इस्राइल के हमले को उत्कृष्ट (एक्सीलेंट) बताया है और पाकिस्तान सरकार ने उनके लिए नोबेल शांति पुरस्कार की सिफारिश की है। पाकिस्तान सरकार का यह कदम बहुत निराशाजनक है। इस व्यक्ति ने गाजा में नरसंहार करने वाले युद्ध का समर्थन किया है और ईरान पर आक्रमण करने की योजना बना रहा है।
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वहीं, संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की पूर्व प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने कहा, नीति में चापलूसी की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। यह सरकार का दुर्भाग्यपूर्ण कदम है। यह निर्णय पाकिस्तान की जनता की भावना को नहीं दर्शाता। लोधी ने एक्स पर कहा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए ट्रंप की सिफारिश कर रही है। एक ऐसा व्यक्ति जिसने गाजा में इस्राइल के नरसंहार वाले युद्ध का समर्थन किया है..यह कदम पाकिस्तानी आवाम के विचारों को नहीं दर्शाता है।'
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पाकिस्तान की ओर से यह घोषणा तब की गई है, जब कुछ दिन पहले पाकिस्तानी सेना के प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर की व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप ने मेजबानी की।व्हाइट हाउस की प्रवक्ता अन्ना केली ने पहले कहा था कि ट्रंप ने मुनीर को दोपहर के भोजन के लिए आमंत्रित किया है, क्योंकि सेना प्रमुख ने वादा किया है कि वह भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध रोकने के लिए उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए सिफारिश करेंगे। इस पर कई पाकिस्तानी कार्यकर्ताओं ने सरकार को कठपुतली बताया और कहा कि इस सरकार में बिल्कुल भी आत्म-सम्मान नहीं बचा है।
एक कार्यकर्ता रिदा राशिद ने एक्स पर कहा, गाजा में नरसंहार ट्रंप की वजह से चल रहा है। एक और युद्ध ट्रंप के कहने पर शुरू हो रहा है और पाकिस्तान की कठपुतली सरकार अमेरिका को खुश करने के लिए उसी ट्रंप को नोबेल पुरस्कार की सिफारिश कर रही है। कार्यकर्ता नूर-ए-मरियम कंवेर ने कहा कि पाकिस्तान ने फिर साबित कर दिया है कि वह किराए की नीति पर ही चलता रहेगा।