किन चीजों पर लागू होंगे ये नियम?
ये नियम मृतक के जमा खातों, सुरक्षित लॉकरों और बैंक में रखी सुरक्षित वस्तुओं के दावों पर लागू होंगे. अगर खाते में नामांकन या सरवाइवर क्लॉज है, तो बैंक को नामित व्यक्ति या उत्तरजीवी को बकाया राशि देनी होगी और ये बैंक की जिम्मेदारी पूरी करने जैसा माना जाएगा. अगर क्लेम राशि कम है यानी सहकारी बैंकों के लिए 5 लाख और अन्य बैंकों के लिए 15 लाख तक है, तो बैंक को आसान प्रक्रिया अपनानी होगी. वहीं, अगर राशि इससे ज्यादा है, तो बैंक उत्तराधिकार प्रमाण पत्र या कानूनी दस्तावेज मांग सकता है.
लॉकर और सुरक्षित वस्तुओं के लिए नियम
मृतक के लॉकर या सुरक्षित वस्तुओं के दावों के लिए भी नियम हैं. बैंक को सभी जरूरी दस्तावेज मिलने के 15 दिन में दावा निपटाना होगा और दावेदार से बात करके लॉकर की इन्वेंट्री बनाने की तारीख तय करनी होगी.
देरी होने पर क्या होगा?
जमा खातों के दावे- अगर बैंक 15 दिन में दावा नहीं निपटाता, तो उसे देरी का कारण बताना होगा. साथ ही, देरी की अवधि के लिए निपटान राशि पर प्रचलित बैंक ब्याज दर + 4% सालाना ब्याज देना होगा.
लॉकर के दावे- अगर लॉकर या सुरक्षित वस्तुओं के दावे में देरी होती है, तो बैंक को हर दिन के लिए 5,000 रुपये का मुआवजा देना होगा.
ये नियम ग्राहकों की सुविधा के लिए हैं ताकि मृतक के खाते या लॉकर से जुड़े दावे जल्दी और सही तरीके से निपटें. प्रक्रिया को आसान और पारदर्शी बनाने का मकसद है ताकि नामांकित व्यक्तियों को परेशानी न हो.