दरअसल, मई में लोकल सर्कल्स ने डार्क पैटर्न्स को लेकर ये रिपोर्ट जारी की थी. जिसके बाद से ही इसपर चर्चा शुरू हो गई थी. अब एक बार फिर से ये खबरों में है. जेरोधा के को-फाउंडर और सीईओ नितिन कामथ ने भी डार्क पैटर्न की आलोचना की है. कामथ के मुताबिक, इस तरह की तरकीबें लोगों को ऐसे कदम उठाने के लिए मजबूर करने के लिए बनाई गई हैं जो उनके हित में नहीं हैं. इसकी मदद से कंपनियां प्रॉफिट कमाती हैं.
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ओटीटी का 'डार्क पैटर्न' जाल
लोकल सर्किल्स के सर्वे ने ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के डार्क पैटर्न्स के बारे में बताया है. डार्क पैटर्न्स वो चालाक डिजाइन ट्रिक्स होती हैं, जो यूजर्स को अनजाने में फंसाकर उनकी जेब ढीली करवाती हैं. सर्वे में सामने आए 9 बड़े डार्क पैटर्न्स ने साबित कर दिया कि ओटीटी कंपनियां यूजर्स को आसानी से जाने नहीं देना चाहतीं. आइए, इनके बारे में जानते हैं:
1. डिप्राइवरी (83%): यूजर्स को डराया जाता है कि सब्सक्रिप्शन रद्द करने पर वो खास ऑफर या कंटेंट से चूक जाएंगे.