किसी वस्तु के आयात के लिए भी किसी एक देश पर निर्भरता नहीं हो। मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि दीर्घकालिक सोच के साथ रणनीति बनाई जा रही है जिसकी घोषणा जल्द होने वाली है। इनमें नए-नए बाजार तलाशने से लेकर निर्यात के लिए नए-नए उत्पादों को तैयार करना शामिल है जिसके लिए सरकार निर्यातकों को इंसेंटिव दे सकती है।
भारत के निर्यात पर हो रहा असर
एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल से मंत्रालय लगातार संपर्क में है, उनके सुझाव लिए जा रहे हैं। मंत्रालय का कहना है कि अमेरिकी बाजार में 50 प्रतिशत का शुल्क लगने के बाद निर्यात को राहत देना हमारी प्राथमिकता है क्योंकि इसका असर तो देश के निर्यात पर दिखेगा। अमेरिका के फैसले ने भारत को जगा दिया है। भारत के कुल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत है।
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पिछले चार सालों से अमेरिका होने वाले निर्यात में दहाई अंक में बढ़ोतरी हो रही है। देश के जीडीपी में निर्यात की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत है और किसी एक देश की हिस्सेदारी अधिक होने पर वहां निर्यात प्रभावित होने पर देश का जीडीपी भी प्रभावित होगा। अमेरिका में निर्यात के प्रभावित होने पर जीडीपी विकास में 0.3 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। इन सबकी भरपाई के लिए ही घरेलू मांग को बढ़ाने के लिए जीएसटी में कटौती की जा रही है। लागत में कमी के उपाय किए जा रहे हैं।
वार्ता से पहले शुल्क हटवाने के पक्ष में भारत
वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक भारत अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर वार्ता को फिर से शुरू करने से पहले 25 प्रतिशत के अतिरिक्त शुल्क समाप्त करवाना चाहता है। वैसे भारत का तर्क है कि सात अगस्त से लगने वाले 25 प्रतिशत के पारस्परिक शुल्क को भी बीटीए पर वार्ता शुरू होने से पहले समाप्त किया जाना चाहिए।
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गत 25 अगस्त से दोनों देशों के बीच बीटीए के छठे राउंड की बातचीत शुरू होनी थी जिसे टाल दिया गया। मंत्रालय का कहना है कि फिलहाल दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते को लेकर आधिकारिक वार्ता नहीं हो रही है, लेकिन वर्चुअल तरीके से यह प्रक्रिया जारी है। दोनों देश एक-दूसरे को समझने की कोशिश कर रहे हैं और उम्मीद है कि जल्द ही हम वार्ता की फिर से औपचारिक शुरुआत करेंगे।
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