गणेश जी को वक्रतुण्ड कहा गया है, यानी कहीं उनकी सूंड बाईं ओर मुड़ी मिलती है, तो कहीं दाईं ओर.दोनों ही स्वरूपों का अलग-अलग धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व माना गया है. आइए जानते हैं कि घर और मंदिर में रखी जाने वाली गणेश प्रतिमाओं में सूंड की दिशा अलग-अलग क्यों होती है.
बाईं ओर सूंड वाले गणपति
घर में पूजन के लिए श्रेष्ठ
परंपरा के अनुसार, घरों में बाईं ओर मुड़ी हुई सूंड वाले गणेश जी की प्रतिमा रखना शुभ माना जाता है. इसका कारण यह है कि शरीर का बायां हिस्सा हृदय और भावनाओं से जुड़ा होता है. यह जीवन की भौतिक और भावनात्मक वास्तविकताओं का प्रतिनिधित्व करता है.
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सुख-शांति और सौम्यता का प्रतीक
बाईं सूंड वाले गणपति को शांत और सौम्य स्वरूप वाला माना जाता है. घर में इस प्रतिमा की पूजा करने से परिवार में शांति, प्रेम और आपसी सामंजस्य बना रहता है.
वेदिक परंपरा का प्रभाव
यह मान्यता वैदिक परंपरा से जुड़ी है, जहां गणपति का यह स्वरूप घर-परिवार में समृद्धि और स्थिरता का कारक माना गया है.