• Wed, Sep 2025

धरा रह गया खालिस्तानियों का विरोध, भारत-कनाडा ने कर ली बहुत बड़ी डील; आतंकियों पर कसेंगे नकेल

धरा रह गया खालिस्तानियों का विरोध, भारत-कनाडा ने कर ली बहुत बड़ी डील; आतंकियों पर कसेंगे नकेल

भारत और कनाडा ने आतंकवाद, अंतरराष्ट्रीय अपराध और उग्रवादी गतिविधियों से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी साझा करने के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता दोनों देशों के बीच लगभग दो साल पहले 2023 में शुरू हुए तनाव को कम करने और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

इस प्रस्तावित समझौते के तहत दोनों देशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियां आतंकवाद, उग्रवाद, संगठित अपराध और ट्रांसनेशनल क्राइम सिंडिकेट्स के संबंध में खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान करेंगी। कनाडा के लिए यह पहल उन मामलों में भी महत्वपूर्ण है जहां कथित तौर पर "एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल किलिंग" यानी न्यायेतर हत्या की जांच की जा रही है। यहां सबसे खास बात ये है कि कनाडा ने खालिस्तानियों के विरोध के बावजूद भारत के साथ इस तरह की बड़ी डील की है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी सूत्रों ने बताया कि इस समझौते की डिटेल को अभी अंतिम रूप दिया जा रहा है, और यह स्पष्ट नहीं है कि इसे सार्वजनिक रूप से कब घोषित किया जाएगा। हालांकि, संभावना जताई जा रही है कि इसे जी-7 सम्मेलन के दौरान घोषित किया जा सकता है, जहां भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के बीच मुलाकात होने की संभावना है।

मोदी की कनाडा यात्रा पर असमंजस
गुरुवार को हुए एयर इंडिया विमान हादसे में 242 में से केवल एक व्यक्ति बच पाया। उधर ईरान पर इजरायली हमलों के चलते मध्य पूर्व में तनाव चरम पर है। हालांकि इसके बावजूद शुक्रवार तक मोदी की कनाडा यात्रा तय मानी जा रही थी। लेकिन, उनकी योजनाओं में बदलाव की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने गुरुवार को नई दिल्ली में कहा, “जी-7 सम्मेलन के इतर दोनों नेताओं की प्रस्तावित बैठक द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होगी।” बता दें कि भारत जी-7 का सदस्य नहीं है, लेकिन वह अब तक 12 बार इस सम्मेलन में भाग ले चुका है।

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2023 की घटना और बिगड़े संबंध
यह समझौता उस समय हुआ है जब दोनों देशों के बीच संबंध 2023 में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद तनावपूर्ण हो गए थे। कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत सरकार पर इस हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया था, जिसे भारत ने "बेतुका" और "प्रेरित" करार देते हुए खारिज कर दिया था। इसके बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित किया, वीजा स्वीकृति में कटौती की और राजनयिक संबंधों को कम कर दिया। हालांकि, दोनों देशों की सुरक्षा एजेंसियां इस दौरान संपर्क में रही और सूचनाओं का आदान-प्रदान करती रही।

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बेहतर और उच्च स्तरीय सहयोग की दिशा में कदम
सूत्रों ने बताया कि नया तंत्र पहले से मौजूद व्यवस्थाओं की तुलना में अधिक व्यापक और उच्चस्तरीय होगा। प्रारंभिक चरण में इसमें पुलिस बलों के बीच बातचीत होगी, लेकिन बाद में इसमें अन्य एजेंसियों को भी शामिल किया जा सकता है। हाल के दिनों में दोनों देशों ने आपसी संबंध सुधारने के लिए छोटे-छोटे प्रयास किए हैं, जैसे प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कार्नी को चुनाव जीतने पर बधाई देना और दोनों नेताओं के बीच टेलीफोन पर संवाद। मोदी को जी-7 सम्मेलन में आमंत्रित करना भी इस बात का संकेत है कि प्रधानमंत्री कार्नी ट्रूडो के कार्यकाल में बिगड़े रिश्तों को सुधारने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।

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कार्नी ने कहा है कि उनकी प्राथमिकताओं में “विदेशी हस्तक्षेप और ट्रांसनेशनल क्राइम से मुकाबला” शामिल है। हालांकि, इस पहल को लेकर कनाडा के अंदर विरोध के स्वर भी उठे हैं। वर्ल्ड सिख ऑर्गेनाइजेशन ऑफ कनाडा और प्रधानमंत्री कार्नी की खुद की लिबरल पार्टी के कुछ सांसदों ने मोदी के जी-7 सम्मेलन में आमंत्रण का विरोध किया है।