दरअसल, तुर्की के ही ड्रोन का इस्तेमाल यूक्रेन-रूस युद्ध में भी हो चुका है. वो शुरुआती दौर था जब यूक्रेन ने एर्दोगन के ड्रोन को रूसी डिफेंस एसेट को तबाह करने की मंशा से इस्तेमाल किया था. तुर्की कंपनी दावा करती है कि उसके ड्रोन 27 घंटे तक लगातार आसमान में रह सकते हैं. उसी समय जब रूस ने अपने एयर डिफेंस सिस्टम को मजबूत किया तो वे टारगेट के करीब पहुंचने में बुरी तरह फेल हो गए.
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... लेकिन पाकिस्तान गलतफहमी में रहा
जून 2022 की एक रिपोर्ट बताती है कि Turkish TB-2 Bayraktar ड्रोन का दावा फेल होता दिखा. ऐसे में अब यूक्रेन की सेना इसे रूस के खिलाफ इस्तेमाल घटाने के बारे में सोच रही है. तब तक रूसी एयर डिफेंस सिस्टम ने इन तुर्किश ड्रोन को उड़ाना शुरू कर दिया था. रिपोर्टों की मानें तो उसी समय से यूक्रेन ने तुर्की ड्रोनों का इस्तेमाल दूसरे काम में करना शुरू कर दिया. अपने तोपों की लोकेशन बदलने और सेना के लिए सर्वे के काम में इनका इस्तेमाल किया जाने लगा. ऐसा लगता है कि यूक्रेन-युद्ध संघर्ष से भारत ने सबक सीखा लेकिन पाकिस्तान गलतफहमी में ही रह गया.