इन 8 जिलों से हो रही है नवाचारों की शुरुआत
सरकार ने प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों की भौगोलिक और सामाजिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जैसे आगरा में पंचगव्य (दूध, दही, घी, गोबर, गोमूत्र) पर आधारित स्किन केयर उत्पादों की निर्माण इकाई स्थापित की जाएगी। वहीं, गोरखपुर में एक ड्यूल फीड बायोगैस संयंत्र की स्थापना होगी। यह संयंत्र ऊर्जा उत्पादन में मदद करेगा। इसी तरह अयोध्या में जैविक कीटनाशक निर्माण इकाई लगाई जाएगी, जिससे किसानों को रासायनिक कीटनाशकों का एक प्राकृतिक विकल्प मिलेगा।
बरेली में बायो फेंसिंग और सोलर शेड परियोजना पर काम होगा। यह परियोजना खेतों की सुरक्षा और ऊर्जा की जरूरतें पूरी करने में मदद करेगी।
बुंदेलखंड क्षेत्र में चारे की समस्या से निपटने के लिए चित्रकूट में एक चारा बैंक स्थापित किया जाएगा।
शहरी क्षेत्रों में गोवंश संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए कानपुर में अर्बन काऊ एडॉप्शन का एक मॉडल विकसित किया जाएगा।
वाराणसी भी इस परियोजना में शामिल है। यहां गंगा बेसिन में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए एक कार्बन ऑफसेट प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा। इसी तरह झांसी में कैक्टस आधारित मिक्स्ड बायोगैस पर एक अनुसंधान केंद्र स्थापित होगा। यह केंद्र ऊर्जा के नए विकल्पों पर शोध करेगा।
हर गोशाला बनेगी आत्मनिर्भर
इस योजना के तहत प्रदेश की 75 चयनित गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखा गया है। सरकार का उद्देश्य है कि हर गोशाला हर साल न्यूनतम 25 लाख रुपये की आय खुद अर्जित करे। इससे ये गोशालाएं सरकारी अनुदान पर निर्भर रहने के बजाए स्थायी आर्थिक मॉडल के रूप में काम कर सकेंगी।
ग्रामीण जीवन में बदलाव का खाका
गो सेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता कहते हैं कि गो आधारित उत्पादों से किसानों और पशुपालकों को कम लागत में अधिक लाभ कमाने का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि पंचगव्य, बायोगैस, जैविक कीटनाशक और बायो फेंसिंग जैसी पहल गांवों में एक नई आर्थिक ऊर्जा का संचार करेंगी।
जैविक खाद-कीटनाशक संयंत्र होंगे स्थापित
सीएम योगी के ग्राम-ऊर्जा मॉडल के तहत गांवों में बायोगैस संयंत्रों के साथ-साथ पंचगव्य उत्पाद और जैविक खाद-कीटनाशक बनाने वाले संयंत्र स्थापित किए जाएंगे। सरकार की योजना बायोगैस का उपयोग वाहनों को चलाने के लिए भी करने की है, जिसकी विस्तृत कार्ययोजना तैयार की जा रही है। इससे न केवल एलपीजी पर निर्भरता घटेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलेगी।
पंचगव्य उत्पादों से ग्रामीण यूपी की तस्वीर बदलेगी
गो सेवा आयोग के ओएसडी डॉ. अनुराग श्रीवास्तव के अनुसार, पंचगव्य आधारित उत्पादों का निर्माण प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में एक क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखता है। मुख्यमंत्री योगी ने स्पष्ट किया है कि इस योजना का लक्ष्य गो सेवा को परंपरा के साथ-साथ आर्थिक विकास, नवाचार और पर्यावरणीय संतुलन से जोड़कर उत्तर प्रदेश को आत्मनिर्भरता के पथ पर मजबूती से आगे बढ़ाना है।