कई तिपहिया चालक लंबे समय तक खड़े रहते हैं जिससे मेरठ रोड और दिल्ली की तरफ से आने वाले वाहन चालकों को जगह कम मिलती है। इससे जाम लग जाता है। शाम को तिराहे पर समस्या ज्यादा रहती है।
मेरठ तिराहे पर जीडीए ने करीब 12 साल पहले जाम की समस्या दूर करने के लिए दिल्ली से आने वाले ट्रैफिक को मेरठ रोड पर करीब 300 मीटर घूमकर यूटर्न लेकर जीटी रोड पर निकालने के लिए रोटरी बनाया था।
उसम समय न मेट्रो का संचालन शुरू हुआ और न ही नमो भारत ट्रेन का संचालन शुरू हुआ था। मेट्रो का शहीद स्थल स्टेशन से संचालन शुरू होने के बाद रोड के दोनों तरफ बने प्रवेश और निकास पर सवारी के लिए टेंपो, आटो और ई रिक्शा वाले खड़े हो जाते हैं।
सुबह और शाम को व्यस्त समय में सवारी ज्यादा आती हैं इसलिए तिपहिया भी ज्यादा संख्या में खड़े होते हैं। करीब दो साल से नमो भारत ट्रेन का संचालन भी शुरू होने से मेरठ तिराहे के पास नमो भारत स्टेशन की का निकास भी है।
नमो भारत के यात्री बढ़ने से अब मेरठ तिराहे पर बाटलनेक बन गया है। मेरठ की तरफ से आने वाला ट्रैफिक, जीटी रोड से आने वाला ट्रैफिक और नमो भारत स्टेशन से आने वाले वाहन एक ही स्थान पर जीटी रोड पर आकर मिलते हैं इससे जाम लग जाता है।
यातायातकर्मी मेट्रो स्टेशन के पास खड़े होते हैं लेकिन मेट्रो स्टेशन से पहले लगने वाले जाम को दूर करने के लिए यातायातकर्मी तैनात नहीं हैंं।
जागरण सुझाव
मेरठ तिरोहे पर जिस स्थान पर बाटलनेक की समस्या है वहां सर्विस रोड भी है। सर्विस रोड समाप्त कर वाहनो के लिए ज्यादा जगह निकलने को मिलेगी। इस स्थान पर यातायातकर्मियों की संख्या बढ़ाकर तिपहिया ज्यादा देर खड़े होने से रोके जाएं तो भी जाम से राहत मिल सकती है।
मेरठ तिराहे पर यातायातकर्मियों की ड्यूटी रहती है। वाहनों का दबाव होने के कारण यातायात व्यस्त समय में धीमी गति से निकलता है। तिपहिया ज्यादा देर खड़े न हों इसके लिए अतिरिक्त ट्रैफिककर्मी लगाए जाएंगे।
सच्चिदानंद, एडीसीपी ट्रैफिक