सारी सीट बुक नजर आती हैं, जिस वजह से 5 मिनट के अंदर ही लोगों को ज्यादातर ट्रेनों में वेटिंग लिस्ट दिखने लग जाती थी और लोग परेशान हो जाते थे. त्योहार और छुट्टियों के दिनों में सबसे ज्यादा इस दिक्कतों का सामना लोग कर रहे थे. लगातार आईआरसीटीसी को भी इसकी शिकायत मिल रही थी. आईआरसीटीसी ने इसकी जांच शुरू कर दी थी और सामने आया एक बेहद बड़ा घोटाला, जिसका पर्दाफाश भी हो गया है.
फर्जी आईडी और एजेंट कर रहे थे पूरा खेल
Local18 ने आईआरसीटीसी के अधिकारियों से जब बात की तो उन्होंने फोन पर बताया कि पूरी जांच में सामने आया है कि फर्जी यूजर आईडी और फर्जी पीएनआर के जरिए यह पूरा खेल किया जा रहा था. इस खेल के पीछे कई एजेंट भी शामिल थे. ऐसे में बड़ी कार्रवाई करते हुए आईआरसीटीसी ने 2.9 लाख संदिग्ध पीएनआर (पैसेंजर नेम रिकॉर्ड) का पता लगाया. ये वही टिकट थीं, जिनकी खरीद सामान्य और तत्काल दोनों में बुकिंग शुरू होने के ठीक पांच मिनट के अंदर की गई थी.
रेलवे अधिकारियों ने बातचीत में यह भी बताया है कि जनवरी से मई 2025 के बीच आईआरसीटीसी की करीब ढाई करोड़ यूजर आईडी को बंद कर दिया गया. यही नहीं अभी 20 लाख आईडी की एक बार फिर जांच की जाएगी. रेलवे के एक अधिकारी की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, 134 शिकायतें नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल और 6800 के करीब शिकायतें डिस्पोजेबल ई-मेल डोमेन ब्लॉक किए गए.
एंटी-बॉट सॉफ्टवेयर निपटेगा फ्रॉड से
आईआरसीटीसी से कई सालों से जुड़े हुए एक अधिकारी ने बताया कि टिकट बुकिंग की व्यवस्था को और बेहतर करने के लिए और निष्पक्ष करने के लि एंटी-बॉट सॉफ्टवेयर और आधुनिक टेक्नोलॉजी का यूज शुरू किया है. अब फिलहाल त्यौहार का मौसम हो या फिर गर्मियों की छुट्टियां सभी में यात्रियों को टिकट विंडो ओपन होने के बाद आसानी से टिकट मिल सकेगी और लोगों को यानी यात्रियों को परेशान नहीं होना पड़ेगा.