नई दिल्ली. भारतीय रेलवे जब भी किसी नए रूट पर प्रीमियम ट्रेन चलाता है या फिर जब कोई नई रेल लाइन बनाता है तो उस पर ट्रेन का ट्रायल लेती है. ट्रायल के दौरान ट्रेन की स्पीड 130 किलोमीटर प्रति घंटा या 160 किलोमीटर प्रति घंटा पर लेती है. ट्रायल हमेशा सफल भी रहता है लेकिन उसी ट्रैक पर जब ट्रेन नियमित रूप से चलाई जाती है तो उसकी स्पीड हमेशा ट्रायल से कम क्यों होती है? यह सवाल आपके भी मन में आया होगा. आम यात्री जब उसी रूट पर सफर करते हैं ट्रेन की स्पीड 120 से ज्यादा नहीं जाती. ट्रेन की स्पीड को 120 किलोमीटर प्रतिघंटा सेट कर दी जाती है. आखिर इसके पीछे की वजह क्या है? सवाल यह भी रेलवे को अगर ट्रेन को 160 की स्पीड से ट्रेन नहीं चलाना तो फिर उसका ट्रायल इतनी हाई स्पीड का क्यों लिया जाता है. क्या इसके पीछे कोई खास वजह है? आइये इसके कारण को जानने की कोशिश करते हैं.