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Tata के लोहे का कमाल, अगर नहीं बनाता ये गाड़ी तो देश में नहीं बनती सड़कें

Tata के लोहे का कमाल, अगर नहीं बनाता ये गाड़ी तो देश में नहीं बनती सड़कें

टाटा का लोहा, टाटा की गाड़ियों की मजबूती के लिए अक्सर ये बात कही जाती है. देश में 5-स्टार सेफ्टी रेटिंग कारों की एक पूरी फौज भी टाटा के पास है. लेकिन आज हम आपको टाटा की एक ऐसी गाड़ी के बारे में बताने जा रहा हैं, जो असल में खुद ही पूरा लोहा है. ये एक रोड रोलर है. अगर इसे टाटा ने नहीं बनाया होता, तो आज देश में सड़क बिछाना काफी मुश्किल होता.

कहानी शुरू होती है आजादी के तुरंत बाद से. साल 1948 के आसपास टाटा मोटर्स ने देश का पहला स्वदेशी रोड रोलर बनाया. ये रोड रोलर कई मायनों में खास था. उस समय टाटा मोटर्स को ‘TELCO’ नाम से जाना जाता था.

‘सिटी ऑफ डेल्ही’ रखा नाम
टाटा ग्रुप ने इस लोहालाट, भारी भरकम रोड-रोलर का नाम ‘सिटी ऑफ डेल्ही’ (दिल्ली का शहर) रखा. इसकी खासियत एक तो ये थी कि ये पूरी तरह देश में बना पहला स्वदेशी रोड रोलर था. वहीं ये भाप से चलता था. इसका फायदा ये था कि इसे कोयले से चलाया जा सकता था. ये देश के उन हिस्सों में भी पहुंच सकता था, जहां पेट्रोल और डीजल की पहुंच नहीं थी.

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